एक गिलहरी प्यारी प्यारी
भाग भाग के आती
अपने मुंह में दबा छुपा के
कितना कुछ वो लाती
झबरी पूंछ, देह पर धारी
चौकन्नी सी फिरती
उछल कूद करती वो हरदम
हंसी ख़ुशी से रहती
पकड़ हाथ में दाना चुग्गा
बैठ प्यार से खाती
हम जो उसको पास बुलाएँ
कितना वो शरमाती
घास फूस, धागों को चुनकर
अपना घर वो बनाती
तिनके, सूखे पत्ते लाकर
घर को खूब सजाती
प्यारी प्यारी एक गिलहरी
कितना कुछ है सिखाती
करती रहती काम हमेशा
भाग भाग के आती
अपने मुंह में दबा छुपा के
कितना कुछ वो लाती
झबरी पूंछ, देह पर धारी
चौकन्नी सी फिरती
उछल कूद करती वो हरदम
हंसी ख़ुशी से रहती
पकड़ हाथ में दाना चुग्गा
बैठ प्यार से खाती
हम जो उसको पास बुलाएँ
कितना वो शरमाती
घास फूस, धागों को चुनकर
अपना घर वो बनाती
तिनके, सूखे पत्ते लाकर
घर को खूब सजाती
प्यारी प्यारी एक गिलहरी
कितना कुछ है सिखाती
करती रहती काम हमेशा
19 comments:
गिलहरी श्री राम के कृपा पात्र और हमारे जीवन में शामिल जीव का सुन्दर चित्रण जीवन शैली लेकर मन मोहक लगा
बहुत ही प्यारी … नन्हीं गिलहरी सी रचना
मन को आँखों को सुकून देती
गिलहरी जैसी ही प्यारी कविता माँ की !!
क्यूट सी कविता
बहुत प्यारी सी कविता है ...
सुन्दर!
बहुत प्यारी, सुन्दर कविता ....
सुन्दर बाल गीत के लिये बधाई............
सुंदर बाल कविता .............प्रकाशन हेतु बधाई
बहुत सुंदर.
ब्लॉग बुलेटिन आज की बुलेटिन, थम गया हुल्लड़ का हुल्लड़ - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
वाह ।
बहुत प्यारी कविता
स्नेह
अनु
बहुत प्यारी सी कविता
मुझे भी गिलहरी बहुत पसंद है
ये कविता भी बहुत ही पसंद आई
God ब्लेस्स you
गिलहरी जैसी ही प्यारी सी रचना ...
बहुत प्यारी रचना लिखी है मम्मा ने,
बहुत बहुत बधाई उनको :)
हम सब की प्यारी गिलहरी... बहुत प्यारी बाल कविता है. सुंदर प्रस्तुति के लिए सस्नेह बधाई.
सुन्दर बाल गीत
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