चैतन्य शर्मा

My photo
मैं चैतन्य, 16 साल का हूँ | मुझे कार्टून बनाना और कोडिंग करना बहुत पसंद है | मैं क्लास XI में पढ़ता हूँ | यह ब्लॉग 15 साल पहले मेरी माँ डॉ. मोनिका शर्मा ने बनाया था । अब मैं खुद अपने पोस्ट मेरे इस ब्लॉग पर शेयर करता हूँ ।

Thursday, December 18, 2014

My Superheroes

I Love Transformers..... My Superheroes




Tuesday, December 2, 2014

Lovely Peacock

My Color work :) 

Saturday, November 22, 2014

कच्चे पक्के रंग






चैतन्य
तुम्हारे साथ ने गतिशील
बना रखा है 

मेरे भी मन और जीवन को
तुमने आँगन में 

बिखेरे हैं कुछ कच्चे पक्के रंग
जो हर दिन नया 

रचने का मार्ग सुझाते हैं
और मेरे कदम 

तुम्हारा हाथ थामे
क्षितिज तक 

चलने का हौसला पाते हैं........

हैप्पी बर्थ डे चैतन्य 

                                  मां 

Tuesday, November 4, 2014

AVITOKO Creative Evening - A Report

My Pictorial Report On "AVITOKO Creative Evening"s program for kids. Thanks to Vibha Aunty for organising this lovely program. 

Click on the pic to read the report

Jadoo telling a cute story, dhyan lagakar sunte sab
Little friend Anubhav singing a poem
Lovely drama
two other friends, don't know their names
I spoke about blog writing ( Photo- from Ashutosh Singh Uncle's Wall)  
Some special talks,  but i did't understand :) 
Program concluded with an amazing performance

Wednesday, October 22, 2014

Happy Diwali



Friday, October 17, 2014

Two Drawings






Wednesday, October 8, 2014

मेरी लिखी पहली ब्लॉगपोस्ट ....

Please click the picture to read the post.

Thursday, September 18, 2014

चार साल का हुआ चैतन्य का कोना



Happy Birth To My Blog .....Thanks to all of you :)


Thanks A Lot
'चैतन्य का कोना' आज चार साल का हो गया । इन चार सालों में चैतन्य के बचपन के सभी रंग इस ब्लॉग पर साझा किये और उसे आप सबका भरपूर स्नेह मिला । इन चार सालों में चैतन्य के ब्लॉग को नियमित अपडेट करने और नया सोचने के विचार ने मुझे भी उसकी रचनात्मकता और कल्पनाशीलता से जोड़े रखा । काफी हद तक नियमितता बनी भी रही | आज ये ब्लॉग एक जीवंत पेरेंटिंग डायरी सा हो गया है जिसमें चैतन्य के बचपन के रंगों को लिए एक-एक पन्ना बस यूँ ही जुड़ता चला गया । चैतन्य को दिए स्नेह और सराहना के लिए आप सभी का ह्रदय के आभार.....
                                                                                                                                          (चैतन्य की माँ )


Tuesday, September 16, 2014

हँसती मुस्कुराती तितली


बताइये कैसी है :)

Wednesday, September 3, 2014

My Click In Magzine

जीवन मैग मैगज़ीन में मेरी क्लिक की हुई  फोटो को 'फोटो ऑफ़ द मंथ' कॉलम में शामिल किया गया है । आप भी देखिये , A Click By Me :)


In Jeevan Mag


Sunday, August 17, 2014

ओ कान्हा सिखलाओ ना

जन्माष्टमी की शुभकामनाएं आप सभी को । आज मेरी बनाई कान्हा की ड्राइंग और मां की लिखी कविता ।


कैसे जीतें  जीवन रण को 
उल्लासित करलें हर क्षण को
ओ कान्हा सिखलाओ ना

कैसे झट मैया को मना लें 
प्यारी प्यारी बातें बना लें
ओ कान्हा बतलाओ ना

संकट में भी मुस्काएं हम
रीति नीति सब पायें हम
ओ कान्हा समझाओ ना

सखा भाव को कभी ना भूलें
प्रकृति माँ की गोद में झूलें
ओ कान्हा सिखलाओ ना



Thursday, August 7, 2014

बंदर भैया


बंदर भैया बदले बदले
लटक-मटक कर चलते 
कभी तो चलते सीधे सीधे 
कभी घूम के  पलटते

अम्मा पूछे, बेटा बंदर 

अजब गजब हैं कपड़े पहने 
नए नए से लगते हो तुम 
हाथ कान में गहने पहने 

बंदर बोला मैं तो अम्मा 

कैटवॉक करूंगा 
छोड़ूंगा पेड़ों पर चढ़ना
स्टाइल  से चलूँगा  

अम्मा बोली बंदर बेटा 

क्या तेरे मन में आया 
उछाल कूद छोड़कर यूं 
बिल्ली बनना क्यों भाया   


नेशनल दुनिया अख़बार में प्रकाशित यह कविता मेरी माँ ने लिखी है । 

Sunday, July 27, 2014

आओ सहेजें धरा को

आज  World Nature Conservation Day है । प्रकृति को बचाने  और सहेजने का सन्देश देने वाला खास दिन । पर धरती माँ  पेड़ों पौधों को सहेजने के लिए तो हर दिन खास है क्योंकि प्रकृति माँ से सुन्दर कुछ नहीं । इसके रंगों से ही हमारे जीवन के रंग हैं ।  हम सब धरती माँ के आभारी हैं । 










Monday, July 21, 2014

नन्हे पौधे जो बड़े पेड़ बनेंगें :)

आजकल मैं अपने  कैमरे से उन नन्हे पौधों को क्लिक कर रहा हूँ जो बड़े होकर पेड़ बनेंगें । साथ ही हैरान भी हूँ कि इतने बड़े पेड़ कभी इतने छोटे भी होते हैं । Some Clicks by me: )

 गुलमोहर 

पीपल 

आम 

Saturday, July 12, 2014

प्यारी गिलहरी

एक गिलहरी प्यारी प्यारी
भाग भाग के आती
अपने मुंह में दबा छुपा के
कितना कुछ वो लाती

झबरी पूंछ, देह पर धारी
चौकन्नी सी फिरती
उछल कूद करती वो हरदम
हंसी ख़ुशी से रहती

पकड़ हाथ में दाना चुग्गा
बैठ प्यार  से खाती
हम जो उसको पास बुलाएँ
कितना वो शरमाती

घास फूस, धागों को चुनकर
अपना घर वो बनाती
तिनके, सूखे पत्ते लाकर
घर को खूब सजाती

प्यारी प्यारी एक गिलहरी
कितना कुछ है सिखाती
करती रहती काम हमेशा
कभी न समय गंवाती             

जनसंदेश अख़बार में प्रकाशित यह प्यारी सी बाल कविता मेरी माँ ने लिखी है  | 

Tuesday, July 1, 2014

कुछ रंग- बस यूँ ही …

     आज कुछ रंग- बस  यूँ ही । जैसा  देखा सोचा वैसा ही उकेर दिया ।



घर से निकला 

बारिश आई, छाता खोला 

पार्क में खेला 

पार्क में झूला और दूसरे खेल 

 क्लासरूम में  बनाई एक ड्राइंग 

Friday, June 13, 2014

मुंबई के गुलमोहर

हरियाली हम सभी को अच्छी लगती है । खासकर गर्मियों के मौसम में । इन दिनों  मुंबई में हर ओर सुन्दर फूलों से लदे गुलमोहर के पेड़ बहुत अच्छे लग रहे हैं । तेज़ धूप और भागती  गाड़ियों के बीच चटक रंग के गुलमोहर सभी के मन भाते हैं । मेरे घर से स्कूल के रास्ते में खिले कुछ गुलमोहर … Clicks by me :)