मुझे अपनी परछाई से खेलना बहुत भाता है | खूब मस्ती करता हूँ अपनी शेडो के साथ | मैं बहुत हैरान हो जाता हूँ कि कैसे मेरे पोज बदलने से मेरी परछाई का पोज भी बदल जाता है | आज कुछ फोटो यूँ ही अपनी परछाई के साथ खेलते हुए |
खिली धूप में |
..
थोड़ा इस एंगल से |
एक पांव उठाकर देखूं..... |
थोड़ा झुककर देखा जाये |
कुछ इस तरह भी....... |
सीधे सीधे चलूँ तो..... |
हाथ ऊपर करके देखता हूँ..... |
शेडो का साइड व्यू भी तो देखूँ |
17 comments:
बहुत अच्छा लगा आपका खेल...बचपन में मैं भी दीवार पर अपने हाथों के शैडो से तरह तरह की आकृतियाँ बनाया करती थी|
Wow...Creative Idea..Looks nice.
nice
Wao
वाह ... बहुत बढिया।
हाय ! कित्ती साफ सुथरी सड़कें हैं.
खूब मज़े कर रहे हो बरखुरदार .
स्नेह आशीष.
...BAHUT BADHIYA ..BACHHE!
GOD BLESS YOU.
मजेदार है !
मैं भी बचपन में ऐसे ही किया करता था।
हा हा हा, एक लड़का और इतनी परछाइयाँ...
बचपन के दिन भी क्या दिन थे ...वो यादें जो भुलाए न भूले ....हार्दिक शुभ कामनाये ...
अब ठण्ड में तो धूप का अलग ही आनंद हैं ..खूब खेलो ...कूदो।।
अच्छा है खूब मस्ती करो...
:-)
वाह! बहुत बढिया।..हार्दिक शुभ कामनाये ...
वाह, बहुत बढिया चैतन्य
अपनी मस्ती में मस्त
Aap Sabko Thanks...
बहुत मज़ेदार खेल...
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