मैं चैतन्य- 14 साल का हूँ | मुझे कार्टून बनाना और कोडिंग करना बहुत पसंद है | मैं क्लास X में पढ़ता हूँ | यह ब्लॉग 12 साल पहले मेरी माँ डॉ. मोनिका शर्मा ने बनाया था । अब मैं खुद अपने पोस्ट मेरे इस ब्लॉग पर शेयर करता हूँ ।
मैंने पहली बार ये लेटर लिखा है | यह लेटर मैंने अपने पापा के लिए लिखा है | यह बताने के लिए कि वो मेरे बेस्ट फ्रेंड हैं और मैं उनसे बहुत प्यार करता हूँ | इसमें बहुत सारे स्पेलिंग मिस्टेक भी हैं पर मेरे पापा तो समझ ही जायेंगें |
बहुत बढिया, आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल गुरुवार (03-10-2013) को "ब्लॉग प्रसारण : अंक 135" पर लिंक की गयी है,कृपया पधारे.वहाँ आपका स्वागत है.शुभकामनाएं.
जो सदैव ही चैतन्य है वह सच्चिदानंद (सत -चित -आनंद )है। वैसे आनंद भी परमात्मा का ही एक नाम है इसीलिए तो हम सब भी जीवन में आनंद चाहते हैं। क्योंकि हम स्वयं परमात्मा के अंश हैं और अंशी की तरफ अंश वैसे ही आकर्षित होता है जैसे माँ की तरफ शिशु।
वर्तनी की अशुद्धियाँ स्पेलिंग मिस्टेक्स मायने नहीं रखतीं हैं असल बात है लिखा गया। भाषा आनी चाहिए वर्तनी फिर पीछे पीछे चली आती है। ब्लॉग पर तो सब अशुद्ध ही लिख रहें हैं बड़े बड़े बड़े से भी बड़े चैतन्य तो छोटा सा बच्चा है। शुक्रिया आप नन्ने मुन्ने पे आये आपका ही ब्लॉग है ये फिर आना। नेहा -दुलार !
अकेले पड़ रहे कितने बंटी
-
हाल ही में हिंदी साहित्य की प्रसिद्ध लेखिका मन्नू भंडारी का निधन हो गया |
उन्हें याद करते हुए उनके प्रशंसकों ने उनकी चर्चित कृति 'आपका बंटी' का सबसे
ज्...
21 comments:
Good effort ......God bless ...keep writing .....!!
आपका पत्र सच में बहुत प्यारा था। स्पेलिंग तो देर सबेर ठीक हो ही जायेंगी। मम्मी पापा को प्यार ऐसे ही करते रहना।
बहुत बढिया ..ऐसे ही लिखते रहो स्पेलिंक्स अपने आप सही होजाएगा....शुभकामनाएं
बहुत बढिया, आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल गुरुवार (03-10-2013) को "ब्लॉग प्रसारण : अंक 135" पर लिंक की गयी है,कृपया पधारे.वहाँ आपका स्वागत है.शुभकामनाएं.
waah bhuat sundar letter...
www.sriramroy.blogspot.in
very nice..
wel come to my facinating world.... www.kondaveetiphotography.blogspot.com
@ Rajendraji.... Abhar Apka
@ Dilbagji ....Abhar Apka
पत्र लिखना बहुत ही अच्छी आदत साबित होगी आगे जाकर, बहुत बहुत शुभकामनाएं.
रामराम.
too good
बहुत अच्छे ..
:-)
ऐसे ही लिखते चलो चैतन्य।। :)
जो सदैव ही चैतन्य है वह सच्चिदानंद (सत -चित -आनंद )है। वैसे आनंद भी परमात्मा का ही एक नाम है इसीलिए तो हम सब भी जीवन में आनंद चाहते हैं। क्योंकि हम स्वयं परमात्मा के अंश हैं और अंशी की तरफ अंश वैसे ही आकर्षित होता है जैसे माँ की तरफ शिशु।
वर्तनी की अशुद्धियाँ स्पेलिंग मिस्टेक्स मायने नहीं रखतीं हैं असल बात है लिखा गया। भाषा आनी चाहिए वर्तनी फिर पीछे पीछे चली आती है। ब्लॉग पर तो सब अशुद्ध ही लिख रहें हैं बड़े बड़े बड़े से भी बड़े चैतन्य तो छोटा सा बच्चा है। शुक्रिया आप नन्ने मुन्ने पे आये आपका ही ब्लॉग है ये फिर आना। नेहा -दुलार !
परमात्मा को "परम सत्य" भी कहते हैं सत माने सत्य है यहाँ ।
bahut sunder ...
wow !!! very touching .....god bless you :)
Oh...missing your Dad so much...reading your letter your Dad will come running to you... :-)
कल 06/10/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद!
प्यार मेरे समझ में भी आया
नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें
good effort...keep writing...
So lovely :) :)
God bless you chaitnya :)
Post a Comment